कुदरत का बुनियादी नियम है कि हर जीव अपनी नस्ल आगे बढ़ाता है। बहुत से जीव इसके लिए सेक्स करते हैं। यानी नर और मादा जिस्मानी ताल्लुक बनाते हैं। अब सवाल ये है कि आखिर तमाम जीव सेक्स क्यों करते हैं? यौन-संबंध आखिर इतने जरूरी क्यों हैं? बरसों से वैज्ञानिक इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। इंसान के विकास की थ्योरी देने वाले महान वैज्ञानिक चार्ल्स डार्विन भी सेक्स की जरूरत को लेकर दुविधा में थे। इसकी वजह कुदरत में मिलने वाले कुछ जीवों की मिसालें हैं।
फूल की कोशिश
दुनिया में बहुत-सी प्रजातियां तो ऐसी हैं जिनके जहन में हर वक्त यौन संबंध बनाने का भूत सवार रहता है। ऑस्ट्रेलिया में पाई जाने वाली बॉवरबर्ड के नर परिंदे मादा पार्टनर को रिझाने के लिए बड़े-बड़े घोंसले बनाते हैं। इसी तरह मादा जुगनू, नर को अपने पास बुलाने के लिए अपनी दुम को चमकाती है। फूलों में जो खुशबू होती है वो कीड़ों को रिझाने के लिए होती है। फूल की कोशिश होती है कि ये कीड़े पास आकर उनके पराग तोड़ें और दूसरे फूलों पर रख दें ताकि वहां उन्हें जरखेज होने का मौका मिले। कुदरत ने जब तक जीवों में यौन-संबंध बनाने की सलाहियत पैदा नहीं की थी तब तक इसके बिना ही नई नस्ल पनपती थी।
नर-मादा संबंध
एक ही कोशिका या सेल दो हिस्सों में बंटकर दो अलग-अलग जीवों के तौर पर पनपनी थी। बैक्टीरिया तो अपनी तादाद में इसी तरह इजाफा करते हैं। बहुत से पौधे और दूसरे जीव भी इसी अमल के तहत अपनी नस्ल आगे बढ़ाते हैं। यौन संबंधों के मुकाबले ये तरीका आसान और कम पेचीदा है। यौन संबंध बनाने के लिए साथी तलाशने की भी जरूरत नहीं है। जबकि यौन-संबंधों से प्रजनन में नर-मादा दोनों के अंडे उपजाऊ होना जरूरी है। अगर किसी एक में भी कमी है तो प्रजनन हो ही नहीं सकता। जब यौन-संबंधों के बिना भी औलाद मुमकिन है तो सभी जीवों में सेक्स इतना जरूरी क्यों है।
प्रजनन की क्षमता
यौन-संबंधों से पैदा हुए वंशजों में अपने मां-बाप के बहुत से अच्छे जीन आते हैं जो बदलते माहौल से मुकाबला करने के लायक होते हैं। जबकि बिना यौन संबंधों के पैदा होने वाले जानदारों में ये मुमकिन नहीं होता। यौन-संबंधों से तादाद भी जल्द बढ़ाई जा सकती है। बहुत-सी स्टडी बताती हैं कि अगर पर्यावरण में जबरदस्त बदलाव आ जाए या कोई धूमकेतु धरती से टकरा जाए तो भी प्रजनन के अमल में बदलाव आ सकते हैं।
सेक्स के बगैर…
हो सकता है अभी तक जो जीव बिना यौन संबंधों के अपनी नस्ल आगे बढ़ा रहे हैं वो भी सेक्स करने लगें। दुनिया में जीवों का वजूद यौन-संबंधों से ही हुआ है। लेकिन मौजूदा हालात में भी हम बहुत से ऐसे जीव देखते हैं, जो सेक्स के साथ और उनके बगैर भी प्रजनन कर लेते हैं। खमीर, घोंघे, स्टारफिश और एफिड्स इसकी मिसाल हैं। लेकिन प्रजनन के लिए जो तरीका ये अपनाते हैं वो बहुत हद तक इनके आसपास के माहौल पर निर्भर करता है। दुनिया जिस वक्त वजूद में आ रही थी यहां का माहौल तेजी से बदल रहा था। जीने के लिए यहां माकूल माहौल नहीं था। ऐसे माहौल में प्रजातियों ने अपनी नस्ल आगे बढ़ाने का आसान तरीका चुना।
जीवाश्म का मिलना
बाद में जैसे-जैसे जीवों का विकास हुआ, वैसे-वैसे उनके प्रजनन का तरीका भी बदला। तो, आखिर धरती पर जीवों ने सेक्स करना कब शुरू किया? कौन से जीव थे, जिनके बीच जिस्मानी ताल्लुक बनने शुरू हुए? फिलहाल वैज्ञानिकों के पास इस सवाल का जवाब नहीं। इसके बारे में अटकलें ही लगाई जाती रही हैं कि धरती पर जीवों ने सेक्स करना कब से शुरू किया। एक रिसर्च के मुताबिक चट्टानों में पाए जाने वाले जीवाश्मों से यौन संबंधों के शुरू होने की जानकारी मिल सकती है। लेकिन जीवाश्म का मिलना तो मुश्किल है ही, साथ ही इनकी तादाद भी कम है।
साथी की तलाश
अमरीका की मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर क्रिस अडामी ने कहा है कि सेक्स असल में कुदरती चुनौतियों से निपटने का सबक है। सेक्स के जरिए ये सबक, पिछली पीढ़ी से अगली पीढ़ी के पास जाते हैं। कैसे चुनौतियों से बचना है और किन खूबियों की मदद से अपनी नस्ल बढ़ाई जा सकती है, ये सब सबक जीवों के डीएनए में होते हैं। ये जानकारी सेक्स के जरिए आने वाली पीढ़ी तक पहुंचती है। ये जानकारियां जीन में जमा होती है और यौन-संबंधों के जरिए ये काम और आसान हो जाता है। सेक्स के लिए ऐसे साथी की तलाश की जाती है जिसके साथ अच्छे वंशज पैदा किए जा सकते हैं।