मेरे हसबैंड बड़े खुले विचारों के हैं. लड़कियों से भी बराबरी की दोस्ती रखते हैं. आसपास की भाभियों और मेरी दोस्तों के साथ नॉनवेज बातें और जोक्स सहजता से शेयर कर लेते हैं. कभी कभार उन्हें छेड़ भी देते हैं, मगर अब जमाना वाकई बदल गया है. न मैं बुरा मानती हूं और न वो महिलाएं.’ एक महिला गर्व से अपने और अपने पति के खुले खयालात की तारीफ कर रही थी.
‘ये तो बढ़िया बात है. तो फिर तो अगल बगल की भाभियों के पति भी आपसे ऐसी ही छेड़खानी कर लेते होंगे. आप भी पति के दोस्तों को नॉनवेज जोक्स सुना लेती होंगी आराम से?’ महिला तब दोगुने उत्साह से बोली ‘अरे नहीं…मुझे तो मार ही डालें ये अगर ऐसा करूं तो. कहते हैं कि अच्छी महिला वो जिससे कोई पुरुष इस तरह की बात करने की सोचे भी ना. मुझे तो इनके सारे दोस्त और पडोसी सम्मान की नजर से देखते हैं.’
‘अच्छा..तो आपके पति उन महिलाओं के पतियों की उपस्थिति में उनसे ऐसे मज़ाक कर लेते हैं?’
‘अरे नहीं..आदमियों का दिल कहां हम औरतों जितना बड़ा होता है.’
और इतना बोलकर महिला ज़ोर ज़ोर से हंस पड़ी.
मैं सुहानुभूति से उसे देखती रही. ऐसी कंडीशनिंग कि दुखी होने वाली बात पर हंसी आ रही है.
सबसे खतरनाक नहीं होता है हमारे साथ गैरबराबरी का सुलूक होना.
सबसे खतरनाक नहीं होता है हमारे साथ अन्याय का होना.
सबसे खतरनाक नहीं होता है हम पर मालिकाना हक जताया जाना.
सबसे खतरनाक होता है गैरबराबरी को प्रेम समझ लेना.
सबसे खतरनाक होता है अन्याय को सही व न्यायपूर्ण समझ लेना.
सबसे खतरनाक होता है मालिकाना हक को परवाह समझ लेना.
सबसे खतरनाक होता है हमारी समझ पर डाका पड़ जाना.